कविता -लेखनी कहानी -10-Feb-2022
♟️♟️ *देश के खातिर*♟️♟️
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देश के खातिर लड़ गए
वह लोग ओर थे,
वतन पर जान न्योछावर कर गए
वो लोग ओर थे,
कश्मीर की केसर
क्यारियों में बो गये
बारूद के बीज,
जाने कितने लाल खो गए
माताओं के,
कितनी बहनों की
कलाइयां सुनी हो गई,
जाने कितनी विधवाओं की
सुनी हो गई माँग,
तब जा कर मिली हैं
यह आजादी का दिन,
हो रहा हैं हमें गर्व
अपनी संस्कृति और संस्कारों पर,
आज हम जो मनाने जा रहे हैं
स्वतँत्र दिवस ,
वह उन शहीदों के
शहीद होने से हैं ,
हम खुशनसीब हैं कि
आज याद करें उनकी कुर्बानी को,
जो कुर्बान हो गए
कम उम्र में देश पर दे अपनी जान,
आओ हम मिलकर नाचे गई गाएं ,
आज सजी हैं आरती की थाल,
कश्मीर से कन्याकुमारी
तक हो जय जय भारती,
जिन्होंने दी हैं प्राणों की
आहुति आज याद कर लो,
पथ पर चले उनके बस याद
रखो बात याद इतनी,
रहे सदा सलामत ये
आजादी बस इतनी कर लो
प्रतिज्ञा आज,
जय हिंद जय भारत !!
~~~~~ वैष्णव चेतन"चिंगारी"
गामड़ी नारायण
बाँसवाड़ा
11/08/020
स्वरचित-मौलिक-अप्रकाशित मेरी रचना
Swati chourasia
10-Feb-2022 05:55 PM
बहुत ही सुंदर रचना 👌
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वैष्णव चेतन"चिंगारी"
10-Feb-2022 06:57 PM
आभार आपका 🙏🙏
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Seema Priyadarshini sahay
10-Feb-2022 05:08 PM
बहुत खूब
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वैष्णव चेतन"चिंगारी"
10-Feb-2022 05:23 PM
आभार आपका🙏🙏
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वैभव
10-Feb-2022 04:45 PM
वाह... क्या खूब लिखा है आपने... वो लोग और थे वतन पर जान न्योछावर कर गए।
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वैष्णव चेतन"चिंगारी"
10-Feb-2022 05:24 PM
आभार आपका🙏🙏
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